उठी है जब भी
कोई ऊँगली तुझ पर
और हुई कोई गुस्ताखी
तेरी शान में
चढ़ी है हमेशा ही त्योरिया
और आया है उबल
रगो में दौड़ता लहू
फड़क उठती है भुजाये
और जल उठते है आंखों में शोले
वो सोच भी सकते है कैसे
जो खडे हो हमारे खिलाफ
हम तो ऐसे है
जो घर से बाहर ना झाकें
और ऐसे भी
जो डाले हम पर बुरी नज़र
हम उसको ना छोड़े कहीँ पर
आये जो नेक नियत से
उससे मिले हम खुले दिल से
सीखाया है उसे सबक बडा अनोखा
की जिसने भी कोशिश दे हमे धोखा
हम तो अपनी राह चलते है
खुश रहते है ,औरों को खुश रखते है
उन्नति को और अपना हर कदम बढाते है
सारे जग में "हिंदुस्तानी " हम कहलाते हैं ...
--- अमित १४/०८/०७
3 comments:
बढ़िया. आपको स्वतंत्रता दिवस की ढ़ेरों बधाई एवं शुभकामनायें.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
स्वतंत्रता दिवस की पावन संध्या पर हार्दिक बधाई !!
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