दी है रब ने मुझे ये आंखें
तेरा दीदार करने के लिए
दी है रब ने मुझे साँसे
तुझे प्यार करने के लिये
दिये है रब ने मुझे ये होंठ
तेरे रुप का बयां करने के लिये
दिये है रब ने मुझे यह हाथ
तेरा शृंगार करने के लिये
तेरे रुप का बयां करने के लिये
दिये है रब ने मुझे यह हाथ
तेरा शृंगार करने के लिये
दिया है रब ने मुझे दिल
तुझको दुनिया की नज़र से बचा कर रखने के लिए
दी है इस दिल में धड़कने
तुझे बे-इन्तहा मोहब्बत करने के लिये
तुम मानो या ना मानो
दिया है रब ने मुझे जन्म
बस तेरे लिये ...
--- अमित ०३/०८/०७
3 comments:
वाह!सच में सभी कुछ उसी के लिए है।बढिया लिखा है।
साधरन तरीके से कही गयी असाधरन रचना, इसी Simplicity को बनाये रखिये. कथिन लिखना आसान है
Thanks Yatish Ji...
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