Tuesday, April 6, 2010

कैसे बनी हास्य कविता ...

एक साधारण सा सवाल
जो हर हास्य कवि से पूछा जाता
"आप की कविता में , हास्य कहाँ से आता "?
सवाल सीधा हैं और जबाब सरल ,
मगर समझ जरा देर से आता हैं
कवि, हास्य पैदा नहीं करता
आम लोगो के बीच,
रोज की जिन्दगी में येँ छुपा होता
कवि तो बस उठा इसे वहां से
शब्दों में अपने पिरोता !
बात इस पर हमने , जरा गौर किया
कान अपने खोले
और नजरो पर जरा जोर दिया !
तस्वीर हुइ कुछ साफ़ और
समझ में आया
हम इंसानों में ,
विचरते कुछ प्राणी भी हैं !
काम बस इतना करना हैं
ध्यान इन पर कड़ा रखना हैं !
प्ररेणा स्त्रोत की तरह , येँ काम आते हैं
करते हैं नित नई हरकतें
और कविता का विषय दे जाते हैं...
और मज़े की बात यहाँ देखिये
हम से लोग भी , हास्य लिख जाते हैं ...
--- अमित ०६/०४/२०१०

7 comments:

Udan Tashtari said...

सही है..लिखते रहिये!!

Vaibhav said...

bahut badiyaan...daad dene pe hum hain majboor...

really a good one...

विजयप्रकाश said...

बढ़िया

Shekhar Kumawat said...

और मज़े की बात यहाँ देखिये
हम से लोग भी , हास्य लिख जाते हैं ..


hasya likhne wale wo hote he jo shmshan me bhi hasy ko peda kar dete he

bahut khub

bahut sundar

wow !!!!!!!!!!


shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com/

nishusharma said...

Cool Ami Ji

Amitraghat said...

बढ़िया लिखा जनाब........."

Unknown said...

hasya per likhte rahiye ap... kuch hasna sikh jayenge... or hsana bhi...