परिवर्तन प्रकर्ति का नियम
और बदलना मानव धर्म ...
होता जब कोई परिवर्तन
मानव करता नया सर्जन...
देख बदलती परिस्थियाँ
गिरगिट सा मानव, बदलता रंग...
और कहें जब नारी कि हो परिवर्तन
देखें फिर बदलता पल पल दृष्टिकोण...
बात यह जब करती कोई किशोरी
कहते सब, हाथों से निकलती है यह छोरी...
पढ़ी लिखी, थोडा और हुई वो सयानी
कहते सब, यथार्थ में आओ, जीवन नहीं परियों कि कहानी...
देखती वो घर और कामकाज भी है
उठता मगर बबाल उसकी स्वतंत्र सोच पर आज भी है...
ढल अब थोडा उसकी उम्र चली है
बुजुर्ग है, थोडा तो मान दो, प्रथा यह चल पड़ी है ...
जीवन काल जाने कितने बीत चुके
हम है मगर अभी वहीँ रुके हुए ...
लिंग देख प्रकर्ति कोई परिवर्तन नहीं लाती
साधारण सी ये बात, क्यों सभ्य समाज को समझ नहीं आती...
नारी भी है राष्ट्र की पूंजी,
और स्वागत करना परिवर्तन का है, सफलता की कुंजी ...
7 comments:
नारी पर अच्छा सोच |
बधाई
आशा
बहुत अच्छी प्रस्तुति ... मानसिक बदलाव होना ज़रूरी है
अच्छी अभिव्यक्ति.......... कम से कम नारी की स्थिति के बारे में किसी ने तो सोचा ।
वाह ………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
Badlaw JIndagi jine ki kla hai jise apne bhut saral shabdo me sahej diya sikhne walo k liye... keep it up.
bahuat badiyaa abhbyakti.soch badalane ki jarurat hai,
happy friendship day.
/ ब्लोगर्स मीट वीकली (३) में सभी ब्लोगर्स को एक ही मंच पर जोड़ने का प्रयास किया गया है / आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/ हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ कोब्लॉगर्स मीट वीकली (3) Happy Friendship Day में आप आमंत्रित हैं /
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