Thursday, July 12, 2018

सम्मान के अधिकारी

ऐसा लगता अक्ल पर हमारी
जो पड़े हों कुछ पत्थर भारी
परख भले बुरे की
मति अब न करती हमारी
दुसरो से  तो क्या,
खुद से धोखा खाते है
हर चमकती चीज़ को ,
हम  सोना समझ जाते हैं
दें  किसे कितनी एहमियत
यह गणित, हम नहीं कर पाते
होने थे जो हमारे आदर्श
नाम वो सुनने को न अब आते है
माला अब "नायक" विशेषों की
लोग जपते अब नज़र आते हैं
विदाई पर एक शहीद की
आँसू न हमे अब आते है
और मरे कोई अभिनेता
शोक सन्देश हर ओर छा जाते है
इनके जन्मदिन , नाती पोते
समाचार पत्र में मुख्य पृष्ठ पर आते
गरीबों के त्यौहार की जरूरते
किसी समाचार पत्र में स्थान न पाते
विवाह समारोह कुछ विशेषों के
आजकल सीधे प्रसारित किये जाते
और बड़ा अचरज तो ये
मधुमास के चित्र भी अब आम किये जाते
कुछ  अति-उत्साहियों का उत्साह
कभी कभी तो ग़ज़ब ही बन पड़ता
जिस ने न जोड़ो हो हाथ माँ बाप को भी
चरणों में इन महानुभावो के जा पड़ता
भूखे रहते , धक्के खाते
कभी कभी तो , थप्पड़ तक पड़जाते
बस एक झलक को सब सह जाते
मानो जैसे जीवन तर जाते
ख्याति शिखर तक , जिन्हे हम पहुचाये
करोड़ो हमसे , जिन्होंने कमाये
देख सोच उन्हें हम  हैं बबरा जाते
गिनती में उनकी,  कहीं दूर हम न आते
खेल कूद , कला साहित्य
बेशक मन हमारा बहलाते
काम नहीं ये सबके बसका
बात यह भी हम मानते
पर वास्तविकता अपनी परीस्थियों की
जाने क्यों सारे पक्ष भूल जाते
देश पर होते बलिदान सिपाही के
हाथ बसचंद पैसे ही क्यों आते
और कर कुछ तीरंदाज़ी
जाने  पैसे कितने बरस जाते
नहीं कहता कोई
मनोरंजन तुम अपना भूल जाओ
नहीं कहता कोई
अमीरी गरीबी का  फर्क  मिटाओ
और कर कुछ तीरंदाज़ी
जाने  पैसे कितने बरस जाते
नहीं कहता कोई
मनोरंजन तुम अपना भूल जाओ
नहीं कहता कोई
अमीरी गरीबी का  फर्क  मिटाओ
और है  छूट
जिसे चाहे,  आदर्श बनाओ
बस ध्यान रहे
अपनी मानवता न भूलना
और भी बहुत है सम्मान के अधिकारी
भूल न उनको  कभी जाना
हैं खुशीयों को तरसती
बहुत सी आँखे
आँखे कभी

न उनसे चुराना।

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