My Poems
Monday, March 9, 2009
पता नही क्यों ...
पता नही क्या था वो
समय का बहाव
या;
मेरे दिल में
कुछ ज़ज्बात दबे थे
जो बह निकले शब्द बन कर
और नाम हुआ कविता
पता नही ...
आज भी , वही मैं हूँ
वही मेरा दिल
वही मेरी ज़ज्बात
गर नही है कोई तो
बस शब्द ,
पता नही क्यों ...
1 comment:
Anonymous said...
sunder bhav dil se.
March 10, 2009 at 9:16 AM
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sunder bhav dil se.
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