बड़ी तेज है रफ़्तार इसकी , जरा
नाम है इसका फैशन , बस दौड़ते रहिये ...
पलक झपकते ही यहाँ मंज़र बदल जा
जरा हुए आप सुस्त, फिर ओल्ड फै
सामाजिक होने के मानक भी अब इसी
नीचे इसके कुछ विशेष चिन्ह आप क
लाल गुलाबी रंग थे, जो कभी नाखु
विश्व भर के देशों के झंडे आज है नाखुनो पर नज़र आत
बात आज मेरी समझ में आती है,
क्यों मिस. यूनिवर्स शांति दूत बनाई जाती है...
विश्व भर के झंडे उसके नाखुनो में सिमट जाते है
हवा में हाथ के साथ झंडे में लहर जाते है...
गायब ही होगी है अब कहीं होठों की वो लाली
जाने किसने होठं अब काली , पीली , नीली रंग डाली...
रहस्य इसका भी गहराई से देखो तो समझ आता है
किसने कहा, गुलाब सिर्फ लाल रंग में नज़र आता है...
तंदुरुस्ती की उपमा, अब आप के कपड़ो से की जाती है
जितने हो तंग कपडे, तंदुरुस्ती और सुन्दरता उतनी ही कही जाती है ...
लगता है आप अपनी दिशा से कुछ भरमा गये,
बात है ज्ञान की और आप भौतिकता में आ गये...
क्यों बढ़ी गलो और कन्धों की गहराई, यह बात अभी मेरी समझ पर भारी है
शोध अभी जारी है, छोटी-छोटी बाधाओं से क्या हमने कभी हिम्मत हारी है ...
वैसे फैशन स्ट्रीट ने दिया है, दीवानेपन को भी पूरा मान
"गरेबां और चाक", आये दिन होते है एक दूजे के मेहमान...
फैशन स्ट्रीट पर यों तो स्त्री हमेशा से ही परुष पर भारी है
मगर कुछ महानुभावो ने पुरुषों की और से जीमेदारी संभाली है ...
कभी आपने गौर किया, जो ईश्वर न कर सका वो उन्होंने कर दिखाया है
कमर से थोडा नीचे, कमर को उसका नया स्थान दिलाया है ...
मनचलों के लिए है परेशानी का एक
समझ न अक्सर यह आता है, आगे जाती देवी जी हैं , या उनका कोई भाई ...
कुछ महानुभाव तो इस से भी आगे निकल जाते है
चलो कहानी हम फिर कभी सुनाते है ...
फैशन स्ट्रीट का आज बस करते है इतना ही प्रचार
चलो कस लो कमर, कहीं नज़र न आओ लाचार ...
1 comment:
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