Sunday, August 15, 2010

आज़ादी का जश्न ...

देश आज आज़ादी का जश्न मना रहा
खुश हूँ मैं , पर ख्याल दिल में आ रहा
कहाँ हमने बाज़ी जीती, कहाँ हार दी
जाने क्यों लगता, समय अपने को दोहरा रहा
आज़ादी मिले बरस हुए, देश आज भी दर्द से कराह रहा
रह रह कर याद वो दिन मुझे आ रहा ,
जब सर उठा चौड़ा सीना किया कोई घर से निकल रहा
देखा आज उसे, डरा सहमा गली से अपनी वो गुजर रहा
डर कर्जे या लेनदारो का नहीं कुछ, जो हैं उसे डरा रहा
कौन जाने कोई "भाई" लिए बंदूक बाट उसकी जोह रहा
आवाम कल भी भूखा था, आज भी भूखा सो रहा
कमाई तो हैं पर राशन महंगा और महंगा हो रहा
गली गली में आज चीर हरण द्रौपदी का हो रहा
इंतज़ार हैं कृष्ण की, आँखे सब की बंद और देश रो रहा
हिन्दू और मुसलमान, बैर न कुछ इनके बीच हो रहा
वो बैठा हैं कुर्सी पर, नेता ही सब बीज बैर के बो रहा
नित नये डॉक्टर और इंजिनियर का जन्म यहाँ हो रहा
न जाने क्यों फिर विकास कहीं दूर देश में हो रहा
सरहद पर सिपाही रक्षा अपने देश की कर रहा
और बंद कमरों में सौदा उसकी जान का हो रहा
वीर पैदा होते थे जहाँ, राज नपुन्सको का अब हो रहा
करता न कोई कुछ यहाँ, बस हर जगह अफ़सोस हो रहा
आज़ादी क्या हम सबने देखी हैं , प्रश्न खुद से यह हो रहा
गोरी चमड़ी गई, काली चमड़ी का यहाँ अब राज हो रहा
कहने सुनने को तो हैं बाते अभी और भी
सोच इन सब को , भारी मन मेरा हो रहा
देश आज आज़ादी का जश्न मना रहा
खुश हूँ मैं , पर ख्याल दिल में आ रहा
कहाँ हमने बाज़ी जीती, कहाँ हार दी
जाने क्यों लगता, समय अपने को दोहरा रहा
आज़ादी मिले बरस हुए, देश आज भी दर्द से कराह रहा
देश आज भी दर्द से कराह रहा , देश आज भी दर्द से कराह रहा

(हो सकता हैं मैं गलत हूँ, पर दिल में यही ख्याल आ रहा )
--- अमित १५/०८/२०१०

6 comments:

Anamikaghatak said...

bilkuk satik likha hai apne

Udan Tashtari said...

सटीक!!


स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

सादर

समीर लाल

शेरघाटी said...

आजदी मिले बरस हुए, देश आज भी दर्द से कराह रहा

मार्मिक प्रसंग !

क्या बात है ! बहुत खूब !

अंग्रेजों से हासिल मुक्ति-पर्व मुबारक हो !
समय हो तो अवश्य पढ़ें :

आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html

शहरोज़

Anonymous said...

very good composition amit
there is wow factor in it

Vaibhav said...

Having read it felt very emotional recalling INDIA's condition. Baat to sahi hai ki hum progress kar rahe hain ya...kisi khatarnaak kal ki or ja rahe hain jo bhi ho....bahut SATEEK likha hai....

Keep the good work on....AMIT!!!!

M.Singh said...

vichaar achchhe hai. dhanyabaad. par jo vikaas hua hai aur aajadee jo hamne paaya hai usko bhee nakaara naheen ja sakta hai. kuchh sakaaratmak soch bhee rakho.