Monday, May 10, 2010

तुम याद आते हो...

सूरज की पहली किरण
जब पड़ती मेरे चेहरे पर ,
तुम याद आते हो !
आते-जाते चिडता है
अब मुझे घर का दरवाजा ,
तुम याद आते हो !
डरती है मुझको
अमावास की काली रात
और पूनम की चांदनी
जलती मुझको,
तुम याद आते हो !
कोई हँसी नहीं गूंजती
सुना रहता है अब आंगन मेरा,
तुम याद आते हो !
आँखों से माना दूर हो
ख्यालो से मेरे कहाँ जाते हो,
सच कहता हूँ
तुम याद आते हो !!!
--- अमित १०/०५/२०१०

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया रचना.