कल फिर फैका
तेज़ाब किसी ने
एक लड़की पर
सुनकर हुआ दुःख !
लोगो की प्रतिकिर्या आई
निकम्मी है सरकार
निकम्मा है प्रशाशन
और लचीले है क़ानून
करेगा क्या इन "शैतानो" का !
सुनकर आया क्रोध
क्या है आधार
जो दे दोष दुसरो को !
प्रशन करता हूं मैं दो
तेज़ाब किसी ने
एक लड़की पर
सुनकर हुआ दुःख !
लोगो की प्रतिकिर्या आई
निकम्मी है सरकार
निकम्मा है प्रशाशन
और लचीले है क़ानून
करेगा क्या इन "शैतानो" का !
सुनकर आया क्रोध
क्या है आधार
जो दे दोष दुसरो को !
प्रशन करता हूं मैं दो
प्रशन है पहला
नारी सबला है या अबला ?
अगर अबला है तो
बात बराबरी की क्यों ?
संरक्षण उसका जरुरी है
जिम्मेदारी पुरुष को दो !
गर सबला है नारी तो
जबाब करार नहीं देती क्यों
जब उठे आँखे और हाथ उस पर दो !
देती जब वो जीवन
हर क्यों न लेती "शैतान" का जीवन वो?
नारी सबला है या अबला ?
अगर अबला है तो
बात बराबरी की क्यों ?
संरक्षण उसका जरुरी है
जिम्मेदारी पुरुष को दो !
गर सबला है नारी तो
जबाब करार नहीं देती क्यों
जब उठे आँखे और हाथ उस पर दो !
देती जब वो जीवन
हर क्यों न लेती "शैतान" का जीवन वो?
प्रशन दूसरा है
आते कहाँ से है "शैतान" वो
अगर मैं गलत नहीं
घरों में हमारे ही
पलते हैं "शैतान" वो !
लाल अपना प्यारा है सबको
लाडली अपनी प्यारी है सबको
लाडली किसी दुसरे की
काँटा क्यों बन जाती आँखों में वो?
क्यों नहीं देते हम ध्यान
क्यों नहीं कसते हम लगाम
निकलते है घर से जब लाडले के पाँव!
क्यों नहीं होता दमन "शैतानो" का घर में
जब दिखाई देते है पाँव पालने में !
आते कहाँ से है "शैतान" वो
अगर मैं गलत नहीं
घरों में हमारे ही
पलते हैं "शैतान" वो !
लाल अपना प्यारा है सबको
लाडली अपनी प्यारी है सबको
लाडली किसी दुसरे की
काँटा क्यों बन जाती आँखों में वो?
क्यों नहीं देते हम ध्यान
क्यों नहीं कसते हम लगाम
निकलते है घर से जब लाडले के पाँव!
क्यों नहीं होता दमन "शैतानो" का घर में
जब दिखाई देते है पाँव पालने में !
--- अमित १३/०५/१०
2 comments:
काश!! अपने शैतान को पहचान पायें तो दुनिया ही बदल जाये.
सुन्दर विचार.
Amit ji bilkul sahi prashn uthaya...waise aapne ek gambheer mudda uthaya...
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