सुना एक मुहावरा कई बार
खाली दिमाग शैतान का वास
जब भी सुनते बडे खुश होते
लगता हमको देख बना
यों तो सूरत सीरत भोली है अपनी
दिमाग मगर जरा गड़बड़ है अपना
बे-लगाम घोडे सा ये भागता
कहाँ कब कैसे , करे कोई खुराफात
ये तो बस ये ही जानता
गये दिन की ही बात है
हम यारो के अपने साथ थे
गौर करने की बात है
दिमाग से वो भी तंग हाथ थे
ये तो सोने पे सुहागे वाली बात थी
पूरी बारात शैतानो की साथ थी
बहुत हुआ सब पुराना
चलो आज करे नया कारनामा
ख्यालों के फ़िर सैलाब आने लगे
ये करे या वो करे , दिमाग सब लडाने लगे
शैतानो को ख्याल कब अच्छे आने थे
ज़ोर पर ज़ोर लगते गये और
सारे प्रस्ताव ओंधे गिरते गये
एक विचार तव अंधरे में जुगनू सा चमका
क्यों न सब ज्ञान और हुनर अपना मिलाये
और मंच ऐसा बनाये , जो सबके काम आए
कमर कस कर ली हमने तैयारी है
देखना दुनिया वालो , अब हमारी बारी है ...
--- अमित
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