पत्थरों को तोड़ कर रास्ता बनाना आसान नही होता
आसान रास्तों पर चल कर कभी नाम नही होता
माना नदी का रुख नही मोड़ सकते है हम
उस नदी पर बाँध बना सकते है हम
क्या जो फूल नही राहों में हमारी
कांटे से काँटा निकालने का हुनर जानते है हम
क्या जो राहे मंजिल में गिर गये हम
उठ कर फ़िर बढ़ने का दम रखते है हम
क्यों सोचते है वो की हम से न होगा ये
चुनौतियों को हकीकत में बदलने का हौसला रखते है हम ....
आसान रास्तों पर चल कर कभी नाम नही होता
माना नदी का रुख नही मोड़ सकते है हम
उस नदी पर बाँध बना सकते है हम
क्या जो फूल नही राहों में हमारी
कांटे से काँटा निकालने का हुनर जानते है हम
क्या जो राहे मंजिल में गिर गये हम
उठ कर फ़िर बढ़ने का दम रखते है हम
क्यों सोचते है वो की हम से न होगा ये
चुनौतियों को हकीकत में बदलने का हौसला रखते है हम ....
--- अमित
2 comments:
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
बहुत खूब, लाजबाब !
Post a Comment