Monday, April 6, 2009

बे-शर्मी ...

सुनते है
शर्म आंखों में होती है
मतलब हुआ
ये सब के पास होती ...
फ़िर क्यों
हमेशा ये शर्म नही देती दिखाई
राम ने आँखें तो सब को दी ...
सम्भव है
वहां भी किसी ने दलाली खाई
किसी को दी ज्यादा
और कर दी किसी के साथ बे-वफाई ...
हमारे साथ भी कुछ यूँ ही हुआ
वफा हमारे हिस्से में और
उनको मिली बे-वफाई ...
बे-शर्मी के इनकी चर्चे आम है
और हम
अपनी शर्म से परेशान है ...
बाज ना आते अपनी हरकतों से यें
जब देखो
इधर - उधर टांग अपनी अडाते यें
और मुंह की खाने के बाद
शेखी और बघारते यें...
देख इनकी ये बे-शर्मी
तरस हम इन पर खाते है
ख़ुद हम शर्मा कर
दुसरे रस्ते हो जाते है ...
बे-शर्म ये भी कम नही
दिखाने कोई नया करतब
फिर यें पीछे पीछे चले आते है ...
--- अमित ६/०४/०९

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