ठाठो में है लाखो ठाठ
शौको में है लाखो शौक
अदाओं में है लाखों अदा
देर से आने की अदा
सबसे जुदा है ये अदा
और हो भी क्यों न
नबाबी है इसका अंदाज़
और लगता जैसे
बढ़ गया अपना रुबाब
बोला दोस्तों को साथ चलेंगे
पहुंचे जब सब
देखा नवाब सोये पडे है
किया वादा की नाश्ता साथ करेंगे
और दिखाई रात को दिए
जब उन्होंने हमे कहा
बस १० मिनट रुको
हम रुके तो ज़रूर
और घड़ी के घूमते काटे गिने
करते कोशिश है बहुत
करे खिचाई औरो को
और हमेशा ही उलटी पड़ी
देख उनकी झेप
चढती सबको मस्ती बडी
प्यारे ये हम सभी के है
आदत से मगर सब घबराते है
चाहे सब करे कितनी भी मिन्नत
"नबाब साब" अपने समय से ही आते है ...
--- अमित २/०३/०८
3 comments:
Ek dum nawabi thath hai....
Jitni marzi hawa bazi karva lo....
apne time se hi aana hai chahe duniya idhar ki udhar ho jaye.
Waise Thoda cricket ka aur add kiya ja sakta hai....:)
First, thanks very much for spending time to write about me.
I really loved these lines as each one was matching exactly what I am.
But I really appreciate Amit and my other friends who are like treasure for me.
A never complaining personalities.....even though I give them enough torture for my much famous habit of coming late for any occassions....
I really feel happy to have a friends like Amit, Arun, Abhi, Ganesh, Sharad and many many.......Sangram, Rohit, never the less ..... Liza.......who even wonder if I sometime come early....to dining table.... Hahaha...
Absolutely good thoughts Amit...keep it up and come up with Ganesh, Arun, Liza and others.......
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