सुबह सुबह उठना
नहा-धो तैयार हो
खुली आँख से सपने बुनना
बस यही काम है इनका
ऑफिस में सबसे पहले
कम्युनिकेटर ही ओपन होता है
कल कहाँ बात खत्म हुई थी
दीमाग पर यह ज़ोर होता है इनका
और क्यों न हो
रोज नया पाठ जो शुरू करना होता है
सुबह सुबह इनके दर्शन होते है
दोपहर से शाम कहाँ गुजरी
कहाँ किसे पता होता है
शाम को जब ये लौटे
फिर कम्युनिकेटर का ही ख्याल होता है
कुछ इधर घूम , कुछ उधर घूम
रात को घर जब ये पहुंचे
फ़ोन बेचार कान पर लगा होता है
कहीं डाउन न हो जाए बैट्री
इसलिए फ़ोन चार्जर पर लगा होता है
इनके साथ जो जाग सके
इतना साहस हमसे कहाँ होता है
लाख इन्हे हम समझाये
लाख इन्हे हम धमकाए
जबान पर तव इनकी, ताला होता है
"कोई भी " नाम इनका पुकारे
नाम के आगे "मीठा" लगा होता है ...
--- अमित ०४/०३/२००८
1 comment:
Absolutely glorious.....
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