Friday, October 26, 2007

अधिकार और समर्पण ...

हमेशा अपना कहा
मुझे तुमने
और हमेशा अपना माना
तुम्हे मैंने
अंतर है क्या कुछ इस में ?
हाँ , अंतर है
"कहने " में अधिकार है
और "मानने" में समर्पण !
--- अमित २६/१०/०७

4 comments:

सुनीता शानू said...

क्या बात है अमित चार शब्दो में सब कुछ कह दिया...अति सुन्दर...तुम शब्दों कि गहराई को जानते हो...
"कहने " में अधिकार है और "मानने" में समर्पण


बहुत अच्छा...

सुनीता(शानू)

Anonymous said...

nice amit keep the good work going
rachna

Anonymous said...

अरे वाह!

वाकई अच्छे शब्द चुने हैं , और कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है.

बहुत खूब बन्धु ! अच्छा लगा पढ़ कर.

आलोक said...

वाह, कहा और मानना। बढ़िया।