अनेक मनाते हम त्यौहार !
अलग सा मनता हर त्यौहार !!
एक अनोखा बस यह त्यौहार !
एक सा मनता बस यह त्यौहार !!
दिनों हफ़्तों नहीं, महीनों पहले उडती लहर !
आने को होता जब यह त्यौहार !!
सड़के सबसे पहले यह संदेसा लाती हैं !
चमक-दमक चेहरे पर उनके पहले आती हैं !!
पानी-बिजली भी थोडा झूमते नज़र आते है !
जब भी उनको देखो घर में नज़र आते हैं !!
अदब का हर तरफ मंज़र होता है !
दबंग और साधू में भेद कम नज़र होता है !!
जीवन भी कुछ और गति मान हो जाता है !
रुके हुए कामों का मार्ग, खुद-ब-खुद साफ़ हो जाता है !!
सज जाते है फिर वो सूने नुक्कड़- चोराहें !
महफ़िलो के अड्डे अब वो नुक्कड़- चोराहें !!
भ्रमण देव- देवियों का फिर आम होता है !
दर्शन तब उनका सुबह- शाम होता है !!
दुर्लभ वचनों को मांगने का समय यही होता है !
"तथास्तु", शब्द सब देव-देवी के मुख पर यही होता है !!
यकीन जानिये देश भक्ति का वातावरण चहूँ ओर होता है !
ऐसा सब होता है, जब "चुनावी दंगल" यहाँ शुरू होता है !!
खुश होने को हर भारतवासी के पास यही दिन होता है !
अफ़सोस यह कि "चुनावी दंगल" हर पाँच साल में होता है !!
--- अमित (२२ /११/ २०११ )
2 comments:
how true amit
bahut sahi likha hai..acha laga itne din baad apka likha padhne ko mila
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