दुनिया किस और जा रही है आप को बताता हूँ
आइये , एक नारी से आप को मिलाता हूँ ...
बस से मैं ऑफिस जा रहा था,
आज दिन में नहीं, दोपहर में जा रहा था...
बस आ एक स्टॉप पर रुकी,
एक बीस-बाईस साल की युवती उसमे चढ़ी...
बगल में सीट हमारी खाली थी
आ वो उस सीट पर धरी...
शरीर पर उसके कपडे का बस किया नाम था,
कपड़ो से बड़ा बैग, लिया उसने अपने हाथ था...
बैठते ही , बैग उनका खुला
और बड़े बैग में के छोटा बैग मिला...
छोटे बैग से सबसे पहले शीशे साहब बहार आये,
देख अपना चेहरा युवती के अजीब से भाव आये...
फिर शरमाती हुई लिपस्टिक जी बाहर आईं
सूखे होठों की लाली फिर उसने बढ़ाई...
फेस पावडर की अबके बारी थी,
चेहरे में जान डालने की उसकी जम्मेदारी थी ...
इस के बाद एक और चीज़ निकल कर आई,
क्या थी वो, मुझ मुर्ख को समझ न आई ...
अब सबसे ज़रूरी चीज़ बाहर आई,
इस बार वह युवती इत्र में नहाई ...
यह बहुत ज़रूरी था,
पानी से नहाना न इतना ज़रूरी था...
देख कर यह सब, थोडा हमको हंसी आई
मगर इस किर्याकलाप में उसके जरा झेप न आई...
सच में नारी सदा ही महान है, जो चाहे करती है
नई दुनिया का निर्माण वही करती है ...
(यह व्यंग सिर्फ उस युवती विशेष पर है, अन्यथा न लें ...)
1 comment:
Ye adhunik nari banti hain.
purush jyade aur mahila kam pahnti hain. Kapde
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