कल किसी ने कहा था,
आज आपने कहा है
और कल फिर कोई कहेगा
अभी तक तो कुछ हुआ नही
आसार आगे भी कुछ है नही,
लोग आते जायेंगे
और इन बहरो के आगे चिल्लाते जायेंगे ,
इनको कुछ सुनाई न तब दिया था
और न ही कुछ आज
और बात रही कुछ दिखाई देने कि ,
तो आज यह भीड़ इतनी है कि
गर्दन निचे करो तो अपना पैर भी न देता दिखाई
याद तो होगा ,
भगत सिंह ने कहा था " बहरो को सुनाने के लिया धमाका ज़रूरी हैं "
आज ज़रूरत हैं कि लोगो के कान के नीचे धमाका हो
असर तुरंत होगा ,
अगली सुबह भारत में उदय नया सूरज होगा ...
(नवभारत अखबार में भारतियों की दशा पे एक लेख पर )
--- अमित ०१/०४/२०१०
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