कहते हैं यार हमारे
सो गया हैं कवी अन्दर का हमारे
हुआ अब अरसा
निकली न कोई कविता
कलम से हमारे
केसे हम समझाएं
कवी कभी सोता नही
हो अगर बंद आंखे
ख्यालो में अपने होता
ध्यान उसका चारो और लगा होता
जेसे ही मिलता
कुछ अनोखा, दिल को जो छूता
दे उसको अपनी कलपना का रंग
कवी अपने शब्दों में पिरोता
देखो, दोस्तों कि शिकायत
दिल को अपने " भा " गयी
और ले कविता का रूप
सामने आपके आ गयी
धन्यवाद्
1 comment:
हमारी इच्छा है आपके दोस्त रोज शिकायत करें...तो रोज कविता निकले. :)
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