Saturday, April 26, 2008
भावनाए ...
Friday, April 25, 2008
सोच ...
Monday, April 7, 2008
काश करता कोई हमे भी प्यार...
Wednesday, April 2, 2008
अप्रैल फूल...
अप्रैल का महीना करीब आ रहा था
कैसे लोगो को बेवकूफ बनाये
यही ख्याल जहन मेबार-बार आ रहा था
रोज नई तरकीबे बन जाती थी
इस में ये कमी है , उसमे वो कमी हैं
ये सोच छोड़ दी जाती थी
एक नया विचार तव आया
ऑफिस वालो को अप्रैल फूल बनाने का
प्लान तव हमने बनाया
एक तारीख को ऑफिस जा हम ने
इस्तीफा अपना दे डाला
होंटों पर मुस्कान लिए
ऑफिस में हम घूमते जाते थे
मेनेजर साब का क्या ज़बाब आएगा
इस इंतज़ार में समय बिताते थे
थोडी देर में उनका कॉल आया
खुशी खुशी हमने भी फ़ोन उठाया
दहाड़ने की आवाज उधर से आती थी
साहब ने फरमाया ,
इस्तीफा हम मंजूर करते हैं
तुम हम से मिलने आओ
इसी बीच एकाउण्ट डिसेबल हम करते हैं
ये सुन हम सकते में आ गए
देख अपना एकाउण्ट डिसेबल और घबरा गए
मेनेजर साब के आगे " सॉरी सर "
यही दो शब्द जबान से बोले जाते थे
देख हमे परेशान हाल
मंद मंद वो मुस्काते थे
एक बार वो फ़िर से गरजे
क्या सोचते थे, अप्रैल फूल हमे बनाओगे
ये सब हथकंडे हमी पर अजमाओगे
मेनेजर हम यों ही नही हैं, सभी का ख्याल रखते हैं
"अप्रैल फूल" अब तुमबन चुके
और मजाक भी बहुत कर चुके
जाओ जा कर काम करो
एकाउण्ट तुम्हारा अनेबल हम कर चुके
जान मे तव जान हमारी आई
सोचा न था व्यस्त मेनेजर ध्यान इतना दे पायेंगे
"अप्रैल फूल" का मजाक यो पकड़ पायेगे
कान हम अब पकड़ते हैं ,
ऐसा "अप्रैल फूल" न अब किसी को बनाएगे
सीमाये अपने अब न भुलायेगे ,
मजाक हैं , मजाक तक हैं इस्तमाल में लायेंगे ...
--- अमित ०२/०४/०८