Tuesday, February 19, 2008

जो है अधिकार मेरा !

क्यों मांगू मैं
भीख सा
जो है अधिकार मेरा !
क्यों स्विकारू मैं
दया सा
आत्म सम्मान है मेरा !
क्यों समझते हो
स्वं को
सबका सर्वेसर्वा !
मैं जन्मा नही
जन्मी हूँ मैं
तो कोई
अपराध नही है
एक मानव हूँ मैं
और अधिकार है मेरा
पाना एक मानव का सम्मान !
--- अमित १९/०२/२००८


2 comments:

Anonymous said...

agree.
small but good poem!

Chetan said...

Good poem, par context samhaj mein nahin aaya. I mean why it was written.