Thursday, November 15, 2007

कुछ ऐसा भी हो सकता है ...

उसने जन्म दिया एक बच्ची कों
और छोड दिया रेल की पटरी पर मरने कों
लोगो ने कहा, लड़की थी इस लिए छोड दिया
तो कुछ ने कहा , नाजायज औलाद थी
औलाद भी नाजायज होती है , पता नही था
कुदरत ने करिश्मा किया
और बच्ची कों जीवन दान दिया
किसी ने जा उसे अस्तपताल ने भर्ती किया
खुशियाँ मनाई गई , इश्वेर को धन्यवाद दिया
कुछ ने उसके माँ - बाप बुरा भला भी कहा
ये खबरें है , कहाँ छुप पाती है
ये तो जंगल की आग सी फ़ैल जाती है
कुछ लोग आज कतार में है
कुछ बे-औलाद है जो उसे पाने की आस में है
कोई उन से भी तो पूछे,
औलाद के बिना जिन्दगी कैसी हो जाती है
बच्चा तो कच्ची माटी है ,जैसा ढालो ढल जाती है
बेटा हो या बेटी सही परवरिश हो तो
सब के काम आती है ...
--- अमित १५/११/०७

Tuesday, November 13, 2007

मैं सोच में हूँ ...

उसने जन्म दिया एक बच्ची कों
और छोड दिया रेल की पटरी पर मरने कों
लोगो ने कहा , नाजायज औलाद थी
औलाद भी नाजायज होती है , पता नही था
कुदरत ने करिश्मा किया
और बच्ची कों जीवन दान दिया
लोगो ने फिर कहा
"जाको राखे सैयाँ , मार सके न कोई "
किसी ने जा उसे अस्तपताल ने भर्ती किया
लोगो ने ख़ुशी मनाई और फिर किसी ने कहा
देखो , कितना नेक काम किया
अब इस कों अच्छा भविष्य मिलजायेगा
जाने क्यों , यह सुन मैं सोच मैं पड़ गया
माँ-बाप के होते बच्ची कहाँ सुरक्षित है
और कितना अच्छा भविष्य पाती है
ये तो अनाथ है , कितना आगे जायगे
कहीं ऐसा ना हो
किसी के हाथों बेच दी जाएगी ...
(कुछ दिन पहले एक ४ दिन की बच्ची रेल की पटरी पर मिली थी, उसकी खबर टीवी में सुन कर ये लिखा है होसकता है कुछ कों बुरा लगे , तो माफ़ी चाहूँगा)
--- अमित १३/११/०७