Wednesday, May 14, 2008

नारी कहे ...

नारी कहे

क्यों बनू मैं सीता

तुम राम बनो या न बनो

मैं अग्नि परीक्षा में झोकी जाऊँगी

तुम तो फ़िर रहोगे महलो में

और मैं वनवास को जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं द्रोपदी

तुम धर्म-राज बनो या न बनो

मैं तो जुए में फ़िर हार दी जाऊँगी

तुम करोगे महाभारत सत्ता को

इसकी दोषी मैं रख दी जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं तारा

तुम हरिश्चंद बनो या न बनो

मैं तो नीच कहलादी जाऊँगी

मेरे बच्चे को मारोगे तुम

उसे जीवित कराने को मैं बुलाई जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं मीरा

तुम कान्हा बनो या न बनो

मेरी भक्ति तो फ़िर लज्जित की जायेगी

तुम को तो कुछ न होगा

और मैं विषपान को विवश की जाऊँगी

नारी कहे

क्यों बनू मैं अहिल्या

मैं तो फ़िर किसी इन्द्र के द्वारा छली जाऊँगी

और जीवन पत्थर बन राम की प्रतिक्षा में बिताओंगी

नारी कहे , कोई बताय

क्यों बनू मैं आदर्श नारी

क्या कोई आदर्श पुरूष मैं पाऊँगी ...

--- अमित १४/०५/०८

आई-टी २०५० में ...

दोपहर को जब साहिब-जादे उठे
कुछ उदास से लगे
यों तो दिन सूरज चढ़े ही होता है
मगर यदा कदा दोपहर को भी होता है
हाल जब पूछा, तो यों जबाब आया
डैड,
सिस्टम मेरा सारा डाउन है
बिहेव बडा इम्प्रोपर है
प्रोसेसिंग हो रही स्लो हैं
मेर्मोरी से सी-पी-यू को सिग्नल नही जाता है
डाऊनलोड कुछ हो नही पाता है
प्रोसेसिंग शुरू होते ही सिस्टम हंग हो जाता है
कल से हार्ड डिस्क मेरी ब्लंक है
कल गर्ल फ्रंद का ई-मेल आया था
प्रोपोसल का रिफियूज़ल उसमें पाया था
पिंग भी कर दिया उसने ब्लाक है
सी-पी-यू तब से देता बीप है
हुआ वायरस एटैक सा मेरा हाल है
साहिब-जादे की हालत हमे समझ आ गई
फॉर्मेट अपने सिस्टम को कर डालो
पढ़ई का उसमे ओ-एस डालो
फिर न हो कोई वायरस एटैक
इसलिए लगाओ स्पोर्ट्स का फायर वाल
झट सॉल्यूशन हमने दे डाला
२०५० का है अपना अंदाज़ निराला
आई-टी बनके रह गया जग सारा...
--- अमित १४/०५/०७