Monday, December 24, 2007

बचपन ...

सुबह सुबह
अलसाई आंखों से जो देखा
बगीचे में,
पोधों की पत्तियों पर
पड़ी ताज़ी ओस की बूँद सा
दिखाई दिया बचपन
ओस सा ताज़ा और पाक़
ऐसा ही होता है बचपन
नन्ही नन्ही सी बाहें फैलाये
छोटे से दिल मे ढेर सा प्यार लिए
आंखों में दुलार की आशा लिए
अपनी तुतलाती बोली से
मेरी बाहों में आने को
मुझे, बुलाता बचपन
मुझसे कुछ न माँगता
जरा है नादान अभी
बस थामे मेरी ऊँगली
चुप चाप साथ मेरे चलना चाहता, बचपन
पीछे मुड जब देखा, तो याद आया
जाने कहाँ अकेला छोड़ आया,
मैं अपना बचपन ...
--- अमित २४/१२/०७

Wednesday, December 19, 2007

रिश्ता ...

रिश्ता ,
शब्द एक छोटा सा ,
और अर्थ
जटिल बडा
कुछ है जो
रिश्तो को जी ते है
तो कुछ
रिश्तों के साथ जी ते है
सच में
उसने हमारे रिश्ते को जिया
और यह एहसास
ना जाने कितनी बार मुझे हुआ
मैं ,
मैं भी कभी
रिश्ते के साथ नही जिया
बस , रिश्ते को ही जिया
पता नही ,
उसको क्यों लगा
मैंने कुछ गलत किया
समझाता, मैं क्या उसे
बदला, उसने मुझसे गलत लिया
छोड़ मुझे अकेला
दूसरी दुनिया का रुख उसने लिया ...
--- अमित १९/१२/२००७