Friday, January 18, 2008

चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ ...

चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ
लौट चले अपने कल में
और आज को अपने भूल जाये
चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ
आज जीवन की रफ़्तार से थोडा थक चुके है
बीते कल में चलो झाँक आये
थी वहाँ जो जिन्दगी
चलो फिर एक बार उसे जी आये
चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ
तुम से प्यार करना तो जिन्दगी है
जीना हमे अभी बहुत है
दिल चाहता है इसकी शुरुआत से फिर मिल आये
चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ
तुम्हारे साथ यों तो हर लम्हा अनमोल है
चलो थोडा यादों का खजाना बटोर लाये
चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ
फुरसत में तो हमेशा ही साथ हम होते है
चलो आज वक़्त से कुछ लम्हे चुरा हम लाये
चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ
जिन्दगी की बातो पर बहुत मुस्काये है हम
चलो आज बिन बात कहकहे लगाए
चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ
इस दुनिया के साथ ही रहे अब तक हम
चलो आज दूर इस से कहीं निकल जाये हम
दिल कहता है
चलो आज थोडा सा रोमानी हो जाएँ हम ...
--- अमित १८/०१/२००८

Thursday, January 3, 2008

यों मना नया साल ...

३१ दिसम्बर , दौडा आ रहा था
हर्षित तो हम भी थे
मगर कुछ को, कुछ जयादा ही हर्षा रहा था
मानो , इस बार पहली बार आ रहा था
प्लान थे, के रोज नए बन जाते थे
इस डिस्को नही , उस डिस्को जायेंगे
वो मयखाना अच्छा है,
जाम, अब तो वहीं छलकेंगे
खाने का क्या है, रोज ही तो खाते है
ये ख़ुशी के जाम है
कहाँ रोज-रोज छलकाए जाते है
पलक झपकते ही ३१ दिसम्बर की शाम आई
दिल की उमंगो ने ली एक मीठी अंगडाई
हमने भी सूट पहना, टाई लगाई
दोस्तों की मंडली भी सज- धज साथ में आई
दिल में उमेंगे ले हम डिस्को पहुंचे
देख के मंज़र वहाँ का,
ख़ुशी के "तारे जमीन पर" पहुचे
मयखाने का हाल और गज़ब था
वहाँ जा कोई "तिल" भी रखे
साहस ऐसा हम में किस ने दिया था
अपनी कलाई पर जब ध्यान गया
ग्यारह पर दस तव बज गया था
खाने को जब दौड़ लगाई
बची कुची साग - भाजी अपने हाथ आई
घर जब पहुचे , नया साल घर आ बैठा था
सूरते अपनी उतरी थी ,
और नया साल हम पर हँसता था
--- अमित ०३/०१/०८